Tuesday, September 28, 2010

Joy of giving.........Mrs. Kiran Avashia

૨૭.૦૯.૨૦૧૦


આજે Joy of giving સપ્તાહ ની ઉજવણી નિમિતે podar world school...વડોદરા નાં સાવ જ નાનાં નાનાં ભૂલકાઓ એ યોજેલ ભવાઈ શો .....




भवाई

(રંગલો અને રંગલી સ્ટેજ પર)

રંગલો : રંગલી અલી ઓં રંગલી ......


ચ્યાં હાલી ગઈ આ મારી રંગલી .....??


રંગલી : આ રહી બોલ રંગલા શું કે’તો તો ?


રંગલો : “લાંબો ડગલો મૂછો વાંકડી , શિરે પાઘડી રાતી,


ભલે લાગતો ભોળો (૨) ,પણ હું છેલછબીલો ગુજરાતી,


તન છોટું પણ મન મોટું છે, ખમીરવંતી જાતિ,


ભલે લાગતો ભોળો પણ છેલ છબીલો ગુજરાતી,


તા..તા..થૈયા... થૈયા...તા...થઈ..........!!”


वातो वातो में मेने भवाई शरु कर दी पर विदूषक कहा?


हा, कहा हे विदूषक? विदूषक आता हे I


अरे विदूषक? हमें भवाई करनी हे पर कौनसे विषय पर भवाई करे ये समज में नहीं आता हे


अरे.......रंगला .... ये अभी २६ सितम्बर से २ अक्टूबर तक “जोय ऑफ़ गिविंग” सप्ताह चल रहा हे तो वो ही विषय लेले I


रंगली ....ये सही बात हे I … मगर भवाई शरु करने से पहले गणेशजी को याद कर ले I


रंगलो .... हा हा ... हर अच्छे कम के पहले गणेशजी को तो याद करना ही चाहिए I


વિદુષક : ” આવે છે રે આવે છે ગણેશ દુંદાળા આવે છે,


હે.....રિધ્ધિ સિધ્દ્ધી જેની રાણી છે એ ગણેશ દુંદાળા આવે છે,


દુંદાળો દુઃખ ભંજનો સદાય બાળ વેશ,


પરથમ સમરિયે,ગૌરી પુત્ર ગણેશ ને જી રે,”


તા..તા..થૈયા... થૈયા...તા...થઈ..........!!”


रंगला : अरे ! ओ रंगली, तुजे पता है हम ये “देने की ख़ुशी सप्ताह” क्यों मना रहे हे ?


रंगली : नही , तो ये देने की ख़ुशी क्या होती है ?


रंगला : देख ये पेड़,देख ये चाँद,ते सूरज देख,ये नदी देख,ये हवा की लहरे महसूस कर !


रंगली : वो सब तो में हररोज देखती हूँ और डंडी ठंडी हवा का आनंद भी लेती हूँ !


रंगला : मगर तूने ये सब देखा है,तो उनसे कुछ सिखा की नही ?


ये प्रकृति हमे शिखाती है की हमे लेने की जगह देना चाहिए !


और रंगली जो मज़ा देने में है,वो लेने में कहाँ ?


रंगली : हाँ , रंगला तूने सही कहा, कल मुजे भूख लगी थी और में केला खाने जा रही थी,


इतने में एक भूखा बच्चा आया तो मेने उसे केला दे दिया तो मुजे बहुत ख़ुशी हुई !


रंगलो : अरे ! रंगली किसी को खुश करना तो इश्वर की इबादत से भी नेक काम है !


बादल दादा ने जब आकर,


धरती माँ की प्यास बुझाई।


झूम उठे तब बाग-बगीचे,


पौधों ने ली फिर अँगड़ाई।


सूर्य-किरण औ' नन्ही बूँदें,


खेल रही हैं आँख-मिचोली।


इंद्रधनुष भी नीलगगन में,


सजा रहा सुंदर रंगोली।

रंगलो : Let us not be satisfied with just giving money. Money is not enough, money can be got, but they need your hearts to love them. So, spread your love everywhere you go.

(શ્રીમતી કિરણ અવાશિયા )

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