Thursday, October 28, 2010

ज्ञान की पहचान

२७.१०.२०१०


ज्ञान की पहचान
यह जरुरी नहीं की उतम वस्तु प्राप्त करने के लिए,सिर्फ गुरु या ज्ञानी या उतम व्यक्ति के पास ही जाया जाय I यह भी जरुरी नहीं की अच्छी वस्तु सिर्फ अच्छी जगह ही प्राप्त हो Iगुण या ज्ञान प्राप्त करने के लिए तो कहा गया है कि:
उतम विद्या लीजिए,जदपि नीच पै होय,
परौ अपावन ठौर में,कंचन तजत न कोई .
उतम विद्या यदि किसी अयोग्य या नीच व्यक्ति से भी मिले,तो भी उसे लेने में संकोच नहीं करना चाहिए I. परौ अपावन ठौर में -----गन्दगी में भी पड़ा हुआ ,हुआ,कंचन तजत न कोई.----सोने को कोई तजता नहीं है I उसे उठाने के लिए तैयार रहता है I जो गुणी है,वह गुणी ही रहेगा,भले ही वह किसी अयोग्य जगह पर ही क्यों न हो I हिरा काले पत्थरों के बिच पाया जाता है, कमल कीचड़ में भी खिलते है, और कांटेवाली झाडियों पर गुलाब के फूल लगतें है I जहां गुण होंगे,उस जगह का महत्व अपने आप बढ़ जायेगा I भले ही वह कितना ही गन्दा स्थान क्यों न हो I.
१ (अभिताभ का खजाना... ....से)

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