Wednesday, November 3, 2010

हर कोई अपने आप में पूर्ण है

૦૨.૧૧.૨૦૧૦


हर कोई अपने आप में पूर्ण है
हमारा मानना है कि हर व्यक्ति चाहे छोटा हो या बड़ा,बलवान हो या निर्बल,विद्वान या अनपढ़,शरीर-सम्पन्न या विकलांग अपने आप में पूर्णता लिए हुए है Iअपने आप में महान है I

जिन्हें हो शक वो करें और खुदाओ कि तलाश
हम तो इंसान को ही दुनिया का खुदा कहते है I
अमरीका के एक प्रख्यात लेखक डेल कार्नेगी का कहना है कि हो सके तो पर्वत कि चोटी बनिए,पर यदि पर्वत कि चोटी न बन पाए तो उस छोटी पर उगनेवाले देवदार के वृक्ष बनिए I यदि देवदार भी नहीं बन पाएं तो घाटी में या किसी झरने के पास एक छोटा- सा सुन्दर वृक्ष बनिए I यदि वृक्ष ना बन पाएं तो एक झाड़ी ही बनिए अगर झाड़ी भी न बन पाएं तो वह नरम घास बनिए जो किसी के मार्ग पर बिछाकर उसके मार्ग को सुखद वनता हे I और यदि आप मार्ग नहीं बन सकते तो एक पगडंडी बनिए I I
आकार से ही हमारी सफलता या असफलता का निर्धारण नहीं होता I अपनी योग्यता के अनुसार ही हम श्रेष्ट बनते है I दुसरो की बराबरी या नक़ल करना आवश्यक नहीं I हम जो भी बन सकते है, वही बने रहे,इसी में ही हमारी शोभा है I
३(अभिताभ का खजाना... ....से)

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