Tuesday, November 9, 2010

शब्दों कि ताकत

૦૮.૧૧.૨૦૧૦


शब्दों कि ताकत
कभी भी आपने विचार किया है कि बुध्ध,महावीर,नानक,कबीर,रहीम,कन्फ्युशियस,गाँधी या विवेकानंद जैसे संत ,महात्मा और महापुरुषों में ऐसा क्या था ,जो उनके वर्षों बाद भी दुनिया उनके बताए रास्तों पर चलती है Iन इनके पास कोई अपर धन –सम्पति थी, न सेने, नालाम्बे-चौड़े राज्य थे.,न भय,न आतंक,फिर ऐसा क्या था,जिसके दम पर,ये सभी व्यक्तित्व,आज भी हम पर राज कर रहे है I
इन सभी साधारण व्यक्तियों के पीछे ,असाधारण शब्दों की ताकत थी I इन के पास विचारों कि सेनाएं थीI शब्दों के सैनिक थे I और इन्ही अनमोल शब्दों की बदौलत इन महापुरुषोंने दुनियाको जीता I
दिखने में एक छोटा सा साधारण “शब्द” अजर –अमर और अपार शक्ति से भरा होता है I उसमें एक जीवन,एक समाज,एक राष्ट्र और एक दुनिया को बदलने की ताकत होती है Iअगर शब्द दुनियामे शांति ला सकते है, तो क्रांति लाने का सामर्थ्य भी रखते है I इसीलिए कबीरदास जी ने कहा है :
"शब्द शब्द सब कोई करें, शब्द के हाथ न पांव
एक शब्द औषधि करे, एक शब्द करे घाव I"
जरा सोचिये कि सन्तो के चंद शब्द सदियों से दुनिया को प्रेरित करते आ रहें है I फिर यह दिनिया तो अपार किताबों ,ग्रंथों और साहित्यसे भरी पड़ी है I
क्यों न हम भी इन शब्दों की ताकत को पहचानें,और इन्हें जीवन में उतारें क्योकिं शब्दों के अध्ययन से ही व्यकित विद्ववान बन सकता है I
राज भले ही अपने राज्य में पूजा जाय,लिकिन विद्ववान हर जगह पूजा जाता है I
५(अभिताभ का खजाना... ....से)

No comments: