૧૪.૦૨.૨૦૧૫...
કેવટ પ્રસંગ
कभी कभी भगवान् को
भी भक्तों से काम पड़े
जाना था गंगा पार
प्रभु केवट की नाव चढ़े
अवध छोड़ प्रभु वन
को धाये
सिया राम लखन गंगा
तट आये
केवट मन ही मन
हर्षाये
घर बैठे प्रभु
दर्शन पाये
हाथ जोड़कर प्रभु
के आगे केवट मग्न खड़े
जाना था गंगा पार
प्रभु केवट की नाव चढ़े
जाना था गंगा पार
प्रभु केवट की नाव चढ़े
कभी कभी भगवान् को
भी भक्तों से काम पड़े
जाना था गंगा पार
प्रभु केवट की नाव चढ़े
जाना था गंगा पार
प्रभु केवट की नाव चढ़े
प्रभु बोले तुम नाव
चलाओ
अरे पार हमें केवट
पहुँचाओ
केवट बोला सुनो
हमारी
चरण धूल की माया
भारी
मैं गरीब नैया मेरी
नारी न बोये परे
जाना था गंगा पार
प्रभु केवट की नाव चढ़े
जाना था गंगा पार
प्रभु केवट की नाव चढ़े
कभी कभी भगवान् को
भी भक्तों से काम पड़े
जाना था गंगा पार
प्रभु केवट की नाव चढ़े
जाना था गंगा पार
प्रभु केवट की नाव चढ़े
चली नाव गंगा की
धारा
सिया राम लखन को
पार उतारा
प्रभु देने लगे नाव
उतराई
केवट कहे नहीं
रघुराई
पार किया मैंने
तुमको
अब तू मोहे पार करे
जाना था गंगा पार
प्रभु केवट की नाव चढ़े
जाना था गंगा पार
प्रभु केवट की नाव चढ़े
कभी कभी भगवान् को
भी भक्तों से काम पड़े
जाना था गंगा पार
प्रभु केवट की नाव चढ़े
जाना था गंगा पार
प्रभु केवट की नाव चढ़े
केवट दौड़ के जल भर
लाया
चरण धोये चरणामृत
पाया
वेद ग्रन्थ जिनके
गुण गाये
केवट उनको नाव
चढ़ाये
बरसे फूल गगन से
ऐसे
भक्त के भाग बढ़े
जाना था गंगा पार
प्रभु केवट की नाव चढ़े
जाना था गंगा पार
प्रभु केवट की नाव चढ़े
कभी कभी भगवान् को
भी भक्तों से काम पड़े
जाना था गंगा पार
प्रभु केवट की नाव चढ़े
जाना था गंगा पार
प्रभु केवट की नाव चढ़े
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